उधर वो बद-गुमानी है इधर ये ना-तवानी है
न पूछा जाए है उस से न बोला जाए है मुझ से
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वफ़ा कैसी कहाँ का इश्क़ जब सर फोड़ना ठहरा
कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से
बू-ए-गुल नाला-ए-दिल दूद-ए-चराग़-ए-महफ़िल
जराहत तोहफ़ा अल्मास अर्मुग़ाँ दाग़-ए-जिगर हदिया
दोनों जहाँ दे के वो समझे ये ख़ुश रहा
तुझ से क़िस्मत में मिरी सूरत-ए-क़ुफ़्ल-ए-अबजद
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
ज़-बस-कि मश्क़-ए-तमाशा जुनूँ-अलामत है
बे-ए'तिदालियों से सुबुक सब में हम हुए
शुमार-ए-सुब्हा मर्ग़ूब-ए-बुत-ए-मुश्किल-पसंद आया
ग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल है
मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त