मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस (page 2)
नाम | मिर्ज़ा मोहम्मद तक़ी हवस |
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अंग्रेज़ी नाम | Mirza Mohammad Taqi Hawas |
जन्म की तारीख | 1766 |
मौत की तिथि | 1836 |
क्या मज़ा हो जो किसी से तुझे उल्फ़त हो जाए
क्या दिन थे जब छुप छुप कर तुम पास हमारे आते थे
जवानी याद हम को अपनी फिर बे-इख़्तियार आई
जंगलों में जुस्तुजू-ए-क़ैस-ए-सहराई करूँ
हम से वारफ़्ता उल्फ़त हैं बहुत कम पैदा
हुए आज़िम-ए-मुल्क-ए-अदम जो 'हवस' तो ख़ुशी ये हुई थी कि ग़म से छुटे
हुए आज बूढ़े जवानी में क्या थे
हरगिज़ न मिरे महरम-ए-हमराज़ हुए तुम
हँसते थे मिरे हाल को जो यार देख कर
देखें क्या अब के असीरी हमें दिखलाती है
बे-वज्ह नहीं गर्द परेशाँ पस-ए-महमिल