रंग-ए-गुल-ए-शगुफ़्ता हूँ आब-ए-रुख़-ए-चमन हूँ मैं
शम-ए-हरम चराग़-ए-दैर क़श्क़ा-ए-बरहमन हूँ मैं
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ज़ाहिद का दिल न ख़ातिर-ए-मय-ख़्वार तोड़िए
शौक़-ए-ख़राश-ए-ख़ार मिरे दिल में रह गया
आश्ना कोई नज़र आता नहीं याँ ऐ 'हवस'
सद-चाक किया पैरहन-ए-गुल को सबा ने
देखें क्या अब के असीरी हमें दिखलाती है
मुज़्दा ये सबा उस बुत-ए-बे-बाक को पहुँचा
लुत्फ़-ए-शब-ए-मह ऐ दिल उस दम मुझे हासिल हो
बे-वज्ह नहीं गर्द परेशाँ पस-ए-महमिल
जवानी याद हम को अपनी फिर बे-इख़्तियार आई
हम गए थे उस से करते शिकवा-ए-दर्द-ए-फ़िराक़
न पाया वक़्त ऐ ज़ाहिद कोई मैं ने इबादत का