इक आस तो है कोई सहारा नहीं तो क्या

इक आस तो है कोई सहारा नहीं तो क्या

रस्ते में कुछ शजर तो हैं साया नहीं तो क्या

रहता है कोई शख़्स मिरे दिल के आस पास

मैं ने उसे क़रीब से देखा नहीं तो क्या

तू ही बता कि चाहें तुझे और किस तरह

ये तेरी जुस्तुजू ये तमन्ना नहीं तो क्या

हम दूर दूर रह के भी चलते रहे हैं साथ

हम ने क़दम क़दम से मिलाया नहीं तो क्या

रेग-ए-रवाँ की तरह हैं सारे तअल्लुक़ात

तुम ने किसी का साथ निभाया नहीं तो क्या

वैसे हमें तो प्यास में दरिया की थी तलाश

अब ये सराब ही सही दरिया नहीं तो क्या

सोचा भी तुम ने दश्त चमन कैसे बन गया

मेहनत का ये अरक़ ये पसीना नहीं तो क्या

'मोहसिन' मिरी निगाह को अच्छा लगा वही

दुनिया की वो नज़र में जो अच्छा नहीं तो क्या

(710) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ek Aas To Hai Koi Sahaara Nahin To Kya In Hindi By Famous Poet Mohsin Zaidi. Ek Aas To Hai Koi Sahaara Nahin To Kya is written by Mohsin Zaidi. Complete Poem Ek Aas To Hai Koi Sahaara Nahin To Kya in Hindi by Mohsin Zaidi. Download free Ek Aas To Hai Koi Sahaara Nahin To Kya Poem for Youth in PDF. Ek Aas To Hai Koi Sahaara Nahin To Kya is a Poem on Inspiration for young students. Share Ek Aas To Hai Koi Sahaara Nahin To Kya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.