क्या जाने क्या लिखा था उसे इज़्तिराब में
क़ासिद की लाश आई है ख़त के जवाब में
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ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं आइना क्या देखने दूँ
डरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े
उस नक़्श-ए-पा के सज्दे ने क्या क्या किया ज़लील
करता है क़त्ल-ए-आम वो अग़्यार के लिए
हम-रंग लाग़री से हूँ गुल की शमीम का
क्यूँ ज़र्द है रंग किस लिए आँसू लाल
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो
एजाज़-ए-जाँ-दही है हमारे कलाम को
वादे की जो साअत दम-ए-कुश्तन है हमारा
दिल क़ाबिल-ए-मोहब्बत-ए-जानाँ नहीं रहा
क़हर है मौत है क़ज़ा है इश्क़