Ghazals of Moni Gopal Tapish

Ghazals of Moni Gopal Tapish
नाममोनी गोपाल तपिश
अंग्रेज़ी नामMoni Gopal Tapish

ज़ौक़ रखता है फ़िक्रमंद तुझे

तोशा-ए-धूप से जिस्मों को तराशे सूरज

तेरे पलट आने से दिल को और इक सदमा हुआ

सन्नाटों के जंगल में खोई हुई ख़ुशबू थी

समेट लो ये प्यार की निशानियाँ समेट लो

सच को कहने का हौसला है मुझे

रातों में जब सुनी कभी शहनाई देर तक

रात कितनी रौशन है कुछ लिखा-पढ़ी कर लें आओ फिर ग़ज़ल कह लें

मिरे क़रीब से गुज़रे मुझे सदा भी न दे

मन के आँगन में ख़यालों का गुज़र कैसा है

खिड़कियाँ सब बंद कमरों और दालानों के बीच

काश इक़रार कर लिया होता

जुनूँ गर बढ़ गया रुस्वाइयाँ बर्बाद कर देंगी

गर्द-आलूदा फ़ज़ा बीनाई गर्द-आलूद थी

आईने टूटते हैं नज़र को रसाई दे

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