किसी ने बर्छियाँ मारीं किसी ने तीर मारे हैं
ख़ुदा रक्खे इन्हें ये सब करम-फ़रमा हमारे हैं
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Habib Jalib
Anwar Masood
Javed Akhtar
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(565) Peoples Rate This
उधर चुटकी वो दिल में ले रहे हैं
अजब रंग की मय-परस्ती रही
मेहरबानी चारासाज़ों की बढ़ी
हम भी दीवाने हैं वहशत में निकल जाएँगे
मैं तो हर हर ख़म-ए-गेसू की तलाशी लूँगा
इश्क़ की चौसर किस ने खेली ये तो खेल हमारे हैं
देखे उसे हर आँख का ये काम नहीं है
जो उन को चाहिए वो किए जा रहे हैं वो
अब कौन बात रह गई ये बात भी गई
तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं
क्या कहें क्या क्या किया तेरी निगाहों ने सुलूक
कल तो देखा था 'मुबारक' बुत-कदे में आप को