है माह कि आफ़्ताब क्या है
है माह कि आफ़्ताब क्या है
देखो तो तह-ए-नक़ाब क्या है
मैं ने तुझे तू ने मुझ को देखा
अब मुझ से तुझे हिजाब क्या है
आए हो तो कोई दम तो बैठो
ऐ क़िबला ये इज़्तिराब क्या है
उस बिन हमें जागते ही गुज़री
जाना भी न ये कि ख़्वाब क्या है
मुझ को भी गिने वो आशिक़ों में
इस बात का सो हिसाब क्या है
सीपारा-ए-दिल को देख उस ने
पूछा भी न ये किताब क्या है
इस मय-कदा-ए-जहाँ में यारो
मुझ सा भी कोई ख़राब क्या है
क़िस्मत में हमारी 'मुसहफ़ी' हाए
क्या जाने सवाब अज़ाब क्या है
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