मैं किस क़तार में हूँ जहाँ मुझ से सैकड़ों
मर मर गए अज़िय्यत-ए-ज़ंजीर खींच कर
Habib Jalib
Gulzar
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Anwar Masood
Wasi Shah
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
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दिल दुखा ही करे है सीने में
मंज़िल-ए-मर्ग के आ पहुँचे हैं नज़दीक अब तो
हमें नित असीर-ए-बला चाहता है
शब शौक़ ले गया था हमें उस के घर तलक
झुर्रियाँ क्यूँ न पड़ें उम्र-ए-फ़ुज़ूँ में मुँह पर
इधर से झाँकते हैं गह उधर से देख लेते हैं
क्यूँ नीची नज़रें कर लीं मियाँ ये तो तू बता
ग़ुस्से को जाने दीजे न तेवरी चढ़ाइए
मैं क्या कहूँ उस नग़मा-ए-मस्तूर की तस्वीर
जी में है इतने बोसे लीजे कि आज
उस के कूचे में पुकारेगा अगर मुझ को रक़ीब
शोख़ी-ए-हुस्न के नज़्ज़ारे की ताक़त है कहाँ