काबे चलता हूँ पर इतना तो बता
मय-कदा कोई है ज़ाहिद राह में
Anwar Masood
Gulzar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(368) Peoples Rate This
रौनक़ गुलशन जो वो रिंद-ए-शराबी हो गया
वाह क्या इस गुल-बदन का शोख़ है रंग-ए-बदन
आह कब लब पर नहीं है दाग़ कब दिल में नहीं
बाक़ी अभी है तर्क-ए-तमन्ना की आरज़ू
नज़्ज़ारा-ए-क़ातिल ने किया महव ये हम को
मग़फ़िरत की नज़र आती है बस इतनी सूरत