Ghazals of Muztar Khairabadi (page 3)
नाम | मुज़्तर ख़ैराबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Muztar Khairabadi |
जन्म की तारीख | 1865 |
मौत की तिथि | 1927 |
दिल का मोआ'मला जो सुपुर्द-ए-नज़र हुआ
दम-ए-ख़्वाब-ए-राहत बुलाया उन्हों ने तो दर्द-ए-निहाँ की कहानी कहूँगा
दम-ए-आख़िर मुसीबत काट दो बहर-ए-ख़ुदा मेरी
चाहत की नज़र आप से डाली भी गई है
बैठे हुए हैं हम ख़ुद आँखों में धूल डाले
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे
अपने अहद-ए-वफ़ा को भूल गए
ऐश के रंग मलालों से दबे जाते हैं
अगर तुम दिल हमारा ले के पछताए तो रहने दो
अब इस से बढ़ के क्या नाकामियाँ होंगी मुक़द्दर में
आतिश-ए-हुस्न से इक आब है रुख़्सारों में
आरज़ू दिल में बनाए हुए घर है भी तो क्या
आप क्यूँ बैठे हैं ग़ुस्से में मिरी जान भरे