आइना देख कर ग़ुरूर फ़ुज़ूल
बात वो कर जो दूसरा न करे
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आशिक़ों की रूह को ता'लीम-ए-वहदत के लिए
ईसा से दवा-ए-मरज़-ए-इश्क़ न होगी
गवाह-ए-वस्ल-ए-अदू सर झुका के देख न लो
न उस के दामन से मैं ही उलझा न मेरे दामन से ये ही अटकी
यही सूरत वहाँ थी बे-ज़रूरत बुत-कदा छोड़ा
मेरे महबूब तुम हो यार तुम हो दिल-रुबा तुम हो
किसी के संग-ए-दर से अपनी मय्यत ले के उट्ठेंगे
यहाँ से जब गई थी तब असर पर ख़ार खाए थी
मैं मसीहा उसे समझता हूँ
उस से कह दो कि वो जफ़ा न करे
याद करना ही हम को याद रहा
तेरी उलझी हुई बातों से मिरा दिल उलझा