सुब्ह तक कौन जियेगा शब-ए-तन्हाई में
दिल-ए-नादाँ तुझे उम्मीद-ए-सहर है भी तो क्या
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(297) Peoples Rate This
ईसा से दवा-ए-मरज़-ए-इश्क़ न होगी
जिए जाते हैं पस्ती में तिरे सारे जहाँ वाले
बाक़ी की मोहब्बत में दिल साफ़ हुआ इतना
ख़िज़र भी आप पर आशिक़ हुए हैं
वो करेंगे वस्ल का वा'दा वफ़ा
वो गले से लिपट के सोते हैं
किसी के तीर को छाती से हम लगाए रहे
आतिश-ए-हुस्न से इक आब है रुख़्सारों में
मैं नहीं हूँ नग़्मा-ए-जाँ-फ़ज़ा मुझे सुन के कोई करेगा क्या
ऐ ख़ुदा दुनिया पे अब क़ब्ज़ा बुतों का चाहिए
यूँ कहीं डूब के मर जाऊँ तो अच्छा है मगर
इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता