यूँ कहीं डूब के मर जाऊँ तो अच्छा है मगर
आप की चाह का पानी नहीं भरना मुझ को
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वो क़ुदरत के नमूने क्या हुए जो उस में पहले थे
फ़ना के बा'द इस दुनिया में कुछ बाक़ी नहीं रहता
मुसीबत और लम्बी ज़िंदगानी
मेरे महबूब तुम हो यार तुम हो दिल-रुबा तुम हो
बिछड़ना भी तुम्हारा जीते-जी की मौत है गोया
जो पूछा मुँह दिखाने आप कब चिलमन से निकलेंगे
हम उम्र के साथ हैं सफ़र में
गए हम दैर से काबे मगर ये कह के फिर आए
नहीं मंज़ूर जब मिलना तो वा'दे की ज़रूरत क्या
न उस के दामन से मैं ही उलझा न मेरे दामन से ये ही अटकी
तेरी रहमत का नाम सुन सुन कर
जान देना नहीं किसे मंज़ूर