फ़ना के बा'द इस दुनिया में कुछ बाक़ी नहीं रहता
फ़क़त इक नाम अच्छा या बुरा मशहूर रहता है
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Habib Jalib
Rahat Indori
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रूह देती रही तर्ग़ीब-ए-तअ'ल्ली बरसों
किसी का जल्वा-ए-रंगीं ये कहता है इन्हें पूजो
रवाँ रहता है किस की मौज में दिन रात तू पानी
उम्र काटी बुतों की आड़ों में
किसी बुत की अदा ने मार डाला
मेरा रंग रूप बिगड़ गया मिरा यार मुझ से बिछड़ गया
उस से कह दो कि वो जफ़ा न करे
तेरे मूए-ए-मिज़ा खटकते हैं
इश्क़ का काँटा हमारे दिल में ये कह कर चुभा
हाल-ए-दिल अग़्यार से कहना पड़ा
तू न आएगा तो हो जाएँगी ख़ुशियाँ सब ख़ाक
चूकी नज़र जो ज़ाहिद-ए-ख़ाना-ख़राब की