उस से कह दो कि वो जफ़ा न करे
कहीं मुझ सा उसे ख़ुदा न करे
Anwar Masood
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(362) Peoples Rate This
हम वफ़ा करते हैं हम पर जौर कोई क्यूँ करे
मेरे अश्कों की रवानी को रवानी तो कहो
निगाह-ए-यार मिल जाती तो हम शागिर्द हो जाते
कह दो साक़ी से कि प्यासा न निकाले मुझ को
मेरे ग़ुबार की ये तअ'ल्ली तो देखिए
वो क़ज़ा के रंज में जान दें कि नमाज़ जिन की क़ज़ा हुई
ये पैदा होते ही रोना सरीहन बद-शुगूनी है
मोहब्बत को कहते हो बरती भी थी
न रो इतना पराए वास्ते ऐ दीदा-ए-गिर्यां
वो शायद हम से अब तर्क-ए-तअल्लुक़ करने वाले हैं
मोहब्बत इब्तिदा में कुछ नहीं मा'लूम होती है
आओ तो मेरे आइना-ए-दिल के सामने