उस का भी एक वक़्त है आने दो मौत को
'मुज़्तर' ख़ुदा की याद अभी क्यूँ करे कोई
Ahmad Faraz
Gulzar
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(349) Peoples Rate This
एक हम हैं कि जहाँ जाएँ बुरे कहलाएँ
ये तो समझा मैं ख़ुदा को कि ख़ुदा है लेकिन
जुदाई मुझ को मारे डालती है
जो पूछा मुँह दिखाने आप कब चिलमन से निकलेंगे
हमारे एक दिल को उन की दो ज़ुल्फ़ों ने घेरा है
वो गले से लिपट के सोते हैं
दम-ए-आख़िर मुसीबत काट दो बहर-ए-ख़ुदा मेरी
निगाहों में फिरती है आठों-पहर
हम से अच्छा नहीं मिलने का अगर तुम चाहो
वो शायद हम से अब तर्क-ए-तअल्लुक़ करने वाले हैं
साक़ी वो ख़ास तौर की ता'लीम दे मुझे
अपनी महफ़िल में रक़ीबों को बुलाया उस ने