हम से अच्छा नहीं मिलने का अगर तुम चाहो
तुम से अच्छे अभी मिलते हैं अगर हम चाहें
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Habib Jalib
Javed Akhtar
Gulzar
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(334) Peoples Rate This
बुरा हूँ मैं जो किसी की बुराइयों में नहीं
मिरा रोना हँसी-ठट्ठा नहीं है
सदमा बुत-ए-काफ़िर की मोहब्बत का न पूछो
दिल क्या करे जो राज़ मोहब्बत का खुल गया
वो पहली सब वफ़ाएँ क्या हुईं अब ये जफ़ा कैसी
चाहत की तमन्ना से कोई आँच न आई
अपने अहद-ए-वफ़ा को भूल गए
इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता
ज़ुल्फ़ को क्यूँ जकड़ के बाँधा है
आह-ए-रसा ख़ुदा के लिए देख-भाल के
कोई अच्छा नज़र आ जाए तो इक बात भी है
हस्ती-ए-ग़ैर का सज्दा है मोहब्बत में गुनाह