मेरे अश्कों की रवानी को रवानी तो कहो
ख़ैर तुम ख़ून न समझो इसे पानी तो कहो
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ऐश के रंग मलालों से दबे जाते हैं
जितने बुत हैं मैं सब पे मरता हूँ
मेरा रंग रूप बिगड़ गया मिरा यार मुझ से बिछड़ गया
तेरे घर आएँ तो ईमान को किस पर छोड़ें
जब कहा मैं ने कि मर मर के बचे हिज्र में हम
तरीक़ याद है पहले से दिल लगाने का
मिरे अरमान मायूसी के पाले पड़ते जाते हैं
बैठे हुए हैं हम ख़ुद आँखों में धूल डाले
न बुलवाया न आए रोज़ वा'दा कर के दिन काटे
अपने दिल को तिरी आँखों पे फ़िदा करता हूँ
उस से कह दो कि वो जफ़ा न करे
तसव्वुर में तिरा दर अपने सर तक खींच लेता हूँ