हर घड़ी एक ही जैसा कभी सोचा न करो

हर घड़ी एक ही जैसा कभी सोचा न करो

वक़्त हरजाई है तुम इस पे भरोसा न करो

वो तो बादल है कहीं जा के बरस जाएगा

इस क़दर टूट के उस शख़्स को चाहा न करो

ये भी मुमकिन है कि तुम हाथ जला लो अपना

मेरी माज़ी की कभी राख कुरेदा न करो

लाख अपने हों किसी पल भी बदल जाएँगे

रेत के महल पे इतना भी भरोसा न करो

चंद किरनें ही तिरे वास्ते काफ़ी हैं 'नसीम'

ख़ाक हो जाओगे सूरज की तमन्ना न करो

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In Hindi By Famous Poet Naseem Ahmad Naseem. is written by Naseem Ahmad Naseem. Complete Poem in Hindi by Naseem Ahmad Naseem. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.