नज़ीर अकबराबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नज़ीर अकबराबादी (page 7)

नज़ीर अकबराबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नज़ीर अकबराबादी (page 7)
नामनज़ीर अकबराबादी
अंग्रेज़ी नामNazeer Akbarabadi
जन्म की तारीख1735
मौत की तिथि1830

साक़ी शराब है तो ग़नीमत है अब की अब

सनम के कूचे में छुप के जाना अगरचे यूँ है ख़याल दिल का

सनम के कूचे में छुप के जाना अगरचे यूँ है ख़याल दिल का

सहर जो निकला मैं अपने घर से तो देखा इक शोख़ हुस्न वाला

सहर हम ने चमन-अंदर अजब देखा कल इक दिलबर

सफ़ाई उस की झलकती है गोरे सीने में

सब ठाठ ये इक बूँद से क़ुदरत की बना है

रुत्बा कुछ आशिक़ी में न कम है फ़क़ीर का

रुख़ परी चश्म परी ज़ुल्फ़ परी आन परी

रक्खी हरगिज़ न तिरे रख ने रुख़-ए-बदर की क़द्र

रखता है सदा होंट को जूँ गुल की कली चुप

रखता है गो क़दीम से बुनियाद आगरा

रहे जो शब को हम उस गुल के सात कोठे पर

क़त्ल पर बाँध चुका वो बुत-ए-गुमराह मियाँ

क़स्र-ए-रंगीं से गुज़र बाग़-ओ-गुलिस्ताँ से निकल

क़मर ने रात कहा उस की देख कर सूरत

फिर इस तरफ़ वो परी-रू झमकता आता है

फिर इस तरफ़ वो परी-रू झमकता आता है

पाया मज़ा ये हम ने अपनी निगह लड़ी का

निकले हो किस बहार से तुम ज़र्द-पोश हो

निगह के सामने उस का जूँही जमाल हुआ

नीची निगह की हम ने तो उस ने मुँह को छुपाना छोड़ दिया

नज़र पड़ा इक बुत-ए-परी-वश निराली सज-धज नई अदा का

नामा-ए-यार जो सहर पहुँचा

ना-ख़ुश दिखा के जिस को नाज़-ओ-इताब कीजे

नहीं याँ बैठते जो एक दम तुम

नहीं हवा में ये बू नाफ़ा-ए-ख़ुतन की सी

न उस के नाम से वाक़िफ़ न उस की जा मा'लूम

न टोको दोस्तो उस की बहार नाम-ए-ख़ुदा

न सुर्ख़ी ग़ुंचा-ए-गुल में तिरे दहन की सी

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