और फिर मोहब्बत में जी के मर के देखा है
लोग सोचते हैं जो हम ने कर के देखा है
Wasi Shah
Rahat Indori
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Mir Taqi Mir
Gulzar
Jaun Eliya
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Mohsin Naqvi
Habib Jalib
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चिंगारियों का रक़्स
ज़िंदगी से मिले हुए हो तुम
किसी को याद करने के नहीं मख़्सूस कुछ लम्हे
संग-दिल
चाँद जैसा इश्क़
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
ला-इल्मी
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
दिल की उदासियों का कोई सबब नहीं है
सारे जज़्बे तिरी चाहत के दिखाई देते
हलचल
तुम को खोया था एक लग़्ज़िश में