दिल की उदासियों का कोई सबब नहीं है
बस ये सबब है मेरे दिल की उदासियों का
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तुम को खोया था एक लग़्ज़िश में
महव-ए-रक़्स-ए-विसाल था क्या था
अपनी आँखों को नोच डाला है
मैं अपने आप को रोकूँ कहाँ तक
सारे जज़्बे तिरी चाहत के दिखाई देते
ये मुख़्तसर सी शिकन क्या बताएगी तुम को
गुड़िया
जब जब तुम को याद करें हम
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
संग-दिल
चाँद जैसा इश्क़
वजूद कर्ब से आगे