चाँद जैसा है
आशिक़ों का इश्क़
पूरा होते ही घटने लगता है
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Rahat Indori
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(369) Peoples Rate This
अपनी आँखें नहीं जलाऊंगी
दिल की उदासियों का कोई सबब नहीं है
हवस
वजूद कर्ब से आगे
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
मैं अपने आप को रोकूँ कहाँ तक
और फिर मोहब्बत में जी के मर के देखा है
मिरे सीने से लग कर देर तक रोती है तन्हाई
हलचल
च्यूंटियाँ
अपनी आँखों को नोच डाला है
आधी मोहब्बत