मिरे सीने से लग कर देर तक रोती है तन्हाई
किसी ने कह दिया उस से मोहब्बत हो गई मुझ को
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अपनी आँखों को नोच डाला है
सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
सुकूत-ए-शहर-ए-दिल की बेबसी को भी कोई समझे
आधी मोहब्बत
मैं अपने आप को रोकूँ कहाँ तक
ज़िंदगी से मिले हुए हो तुम
यूँ तो मोहब्बतों में बड़ी क़ुर्बतें रहीं
गुड़िया
ला-इल्मी
रिहाई
महव-ए-रक़्स-ए-विसाल था क्या था