मैं जल गई हूँ धूप की किरनों से जा-ब-जा
और वो समझ रहे हैं कि रंगत निखर गई
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सीने से दिल निकाल के हाथों पे रख दिया
आगही
हलचल
दिल की उदासियों का कोई सबब नहीं है
चिंगारियों का रक़्स
रिहाई
मैं अपने आप को रोकूँ कहाँ तक
संग-दिल
यूँ तो मोहब्बतों में बड़ी क़ुर्बतें रहीं
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
क़ैद कर लो मुझे ख़यालों में