तुम को खोया था एक लग़्ज़िश में
उम्र सारी कटी है गर्दिश में
Wasi Shah
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(425) Peoples Rate This
सारे जज़्बे तिरी चाहत के दिखाई देते
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
कितने आलम गुज़र गए मुझ पर
आधी मोहब्बत
सुकूत-ए-शहर-ए-दिल की बेबसी को भी कोई समझे
ये मुख़्तसर सी शिकन क्या बताएगी तुम को
अपनी आँखों को नोच डाला है
गुनाह
महव-ए-रक़्स-ए-विसाल था क्या था
ला-इल्मी
चिंगारियों का रक़्स