इसी तरह से अगर चाहता रहा पैहम
सुख़न-वरी में मुझे इंतिख़ाब कर देगा
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धनक धनक मिरी पोरों के ख़्वाब कर देगा
फ़बेअय्ये आलाए रब्बिकमा तुकज़्ज़िबान
जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे
दुख नविश्ता है तो आँधी को लिखा आहिस्ता
क्या करे मेरी मसीहाई भी करने वाला
निक-नेम
मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी
मर भी जाऊँ तो कहाँ लोग भुला ही देंगे
बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की
अोथेलो
टूटी है मेरी नींद मगर तुम को इस से क्या
नहीं मेरा आँचल मैला है