चश्म-ए-ख़ुश-आब की तमसील नहीं हो सकती

चश्म-ए-ख़ुश-आब की तमसील नहीं हो सकती

ऐसी शफ़्फ़ाफ़ कोई झील नहीं हो सकती

मेरी फ़ितरत ही में शामिल है मोहब्बत करना

और फ़ितरत कभी तब्दील नहीं हो सकती

उस के दिल में मुझे इक जोत जगाना पड़ेगी

ख़ुद ही रौशन कोई क़िंदील नहीं हो सकती

सिक्का-ए-दाग़ ओ ज़र-ए-ग़म से भरा है मिरा दिल

देख ख़ाली मिरी ज़म्बील नहीं हो सकती

इस लिए शिद्दत-ए-सदमात में रो देता हूँ

मुझ से जज़्बात की तश्कील नहीं हो सकती

दुख तो ये है, वो मिरे दुख को समझता ही नहीं

उस तक एहसास की तर्सील नहीं हो सकती

छोड़ आया हूँ तिरा दफ़्तर-ए-दरबार-नुमा

अब तिरे हुक्म की तामील नहीं हो सकती

इस कसाफ़त की लताफ़त से भला क्या निस्बत?

तीरगी नूर में तहलील नहीं हो सकती

लाज़मी तो नहीं 'साहिर'! वो मुझे मिल जाए

यानी हर ख़्वाब की तकमील नहीं हो सकती

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In Hindi By Famous Poet Parvez Sahir. is written by Parvez Sahir. Complete Poem in Hindi by Parvez Sahir. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.