जो भी आता है बताता है नया कोई इलाज
बट न जाए तिरा बीमार मसीहाओं में
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
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हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
हाथ दिया इस ने मिरे हाथ में
कौन इस देस में देगा हमें इंसाफ़ की भीक
तेरे ख़तों की ख़ुश्बू
हालात की उजड़ी महफ़िल में अब कोई सुलगता साज़ नहीं
माना जीवन में औरत इक बार मोहब्बत करती है
कोई मक़ाम-ए-सुकूँ रास्ते में आया नहीं
दरयाफ़्त करे वज़्न हवा का मुझ से
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
हम को आपस में मोहब्बत नहीं करने देते
जो बीत गई उस की ख़बर है कि नहीं है
क्या ख़बर कब नींद आए दीदा-ए-बे-ख़्वाब में