निकल कर दैर-ओ-काबा से अगर मिलता न बुत-ख़ाना
तो ठुकराए हुए इंसाँ ख़ुदा जाने कहाँ जाते
Anwar Masood
Gulzar
Wasi Shah
Rahat Indori
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
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बड़ा मुंसिफ़ है अमरीका उसे अल्लाह ख़ुश रक्खे
आज और कल
लेता था जवानी में कभी जिस की पनाह
मेरे ब'अद वफ़ा का धोका और किसी से मत करना
हालात की भीगी रात भी है जज़्बात का तेज़ अलाव भी
मिल-जुल के बरहना जिसे दुनिया ने किया है
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
थोड़ी सी और ज़ख़्म को गहराई मिल गई
नए इक शहर को सुब्ह-ए-सफ़र क्या ले चली मुझ को
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
सितम के बा'द करम की अदा भी ख़ूब रही