मेरे ब'अद वफ़ा का धोका और किसी से मत करना
गाली देगी दुनिया तुझ को सर मेरा झुक जाएगा
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तर्क-ए-वफ़ा के ब'अद ये उस की अदा 'क़तील'
गर्मी-ए-हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैं
सिसकियाँ लेती हुई ग़मगीं हवाओ चुप रहो
ये बात फिर मुझे सूरज बताने आया है
अब तो बे-दाद पे बे-दाद करेगी दुनिया
हर तरफ़ सतवत-ए-अर्ज़ंग दिखाई देगी
दाद-ए-सफ़र मिली है किसे राह-ए-शौक़ में
जब से असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर हो गया
ज़िंदगी या तवाइफ़
जीत ले जाए कोई मुझ को नसीबों वाला
जो बीत गई उस की ख़बर है कि नहीं है
दिल को ग़म-ए-हयात गवारा है इन दिनों