पिया की याद सूँ पीता हूँ मैं मय
हमारा हाल क्या जानेंगे सुख-ज़ाद
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सकी तुज ज़ुल्फ़ है जीवाँ के आख़िज़
'क़ुतुब' शह न दे मुज दिवाने को पंद
मैं न जानूँ काबा-ओ-बुत-ख़ाना-ओ-मय-ख़ाना कूँ
करें ताक़त गँवा कर आबिदाँ मय-ख़ाना कूँ सज्दा
प्यारी के नैनाँ हैं जैसे कटारे
तिरे दरसन की मैं हूँ साईं माती
मोहब्बत की सुल्तानी है सब जगत में
अज़ल थे है मुजे ख़ूबाँ सूँ इख़्लास
सकी मुख सफ़्हे पर तेरे लिख्या राक़िम मलक मिसरा
पिया बाज प्याला पिया जाए ना
नज़र तज पे है क्या तमाशा का हाजत
पिया के नयन में बहुत छंद है