हम अपने हाल-ए-परेशाँ पे बारहा रोए
और उस के ब'अद हँसी हम को बारहा आई
Javed Akhtar
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दिल से मत सरसरी गुज़र कि 'रईस'
तुम ऐ रईस! अब न अगर और मगर करो
पहले भी ख़राब थी ये दुनिया
ज़मीं पर रौशनी ही रौशनी है
सिर्फ़ तारीख़ की रफ़्तार बदल जाएगी
सफ़र में कोई रुकावट नहीं गदा के लिए
दिल कई रोज़ से धड़कता है
बता क्या क्या तुझे ऐ शौक-ए-हैराँ याद आता है
मीज़ान हाथ में है ज़ियाँ की न सूद की
ये शहर शहर-ए-बला भी है कीना-साज़ के साथ
दीदनी है बहार का मंज़र
हम लोग हैं वाक़ई अजूबा