हम लोग हैं वाक़ई अजूबा
क्यूँ आप में मस्त हैं न जाने
सुनते हैं न्यूज़ बीबीसी से
ऑल-इंडिया-रेडियो से गाने
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Wasi Shah
Gulzar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Ahmad Faraz
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सदियों तक एहतिमाम-ए-शब-ए-हिज्र में रहे
अब दिल की ये शक्ल हो गई है
शमीम-ए-गेसू-ए-मुश्कीन-ए-यार लाई है
दिल कई रोज़ से धड़कता है
जो अपने क़ौल को क़ानून समझें
हम ने ऐ दोस्त रिफ़ाक़त से भला क्या पाया
माना कि तू सवार है और मैं पियादा हूँ
तुम ऐ रईस! अब न अगर और मगर करो
कू-ए-जानाँ मुझ से हरगिज़ इतनी बेगाना न हो
रक़्साँ है मुंडेर पर कबूतर
ज़मीं पर रौशनी ही रौशनी है
अपने को तलाश कर रहा हूँ