चाँद होता नहीं हर इक चेहरा
फूल होते नहीं सुख़न सारे
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Gulzar
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(604) Peoples Rate This
आज मौज़ू-ए-गुफ़्तुगू है हयात
सिर्फ़ माने थी हया बंद-ए-क़बा खुलने तलक
बहुत दिनों में ये उक़्दा खुला कि मैं भी हूँ
हुईं आँखें अजब बेहाल अब के
उठा लाया हूँ सारे ख़्वाब अपने
उठ रहा है धुआँ मिरे घर में
दिल ने अपनी ज़बाँ का पास किया
अपनी बे-चेहरगी में पत्थर था
मुमकिन है वो दिन आए कि दुनिया मुझे समझे
बारहा हम पे क़यामत गुज़री
सामने जी सँभाल कर रखना
मोहब्बत ख़ब्त है या वसवसा है