हुईं आँखें अजब बेहाल अब के
ये बारिश कर गई कंगाल अब के
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बहुत दिनों से कोई हादसा नहीं गुज़रा
और कुछ यूँ हुआ कि बच्चों ने
हम किसी को गवाह क्या करते
हाल-ए-दिल पूछते हो क्या तुम ने
रात है या हवा मकानों में
उम्र गुज़री रहगुज़र के आस-पास
ख़्वाब उस के हैं जो चुरा ले जाए
जब तक दौर-ए-जाम चलेगा
तेरे आने का इंतिज़ार रहा
पास अपने इक जान है साईं
दिल धड़कता है सर-ए-राह-ए-ख़याल
शाम से पहले घर गए होते