जिन आँखों से मुझे तुम देखते हो
मैं उन आँखों से दुनिया देखता हूँ
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Wasi Shah
Gulzar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(479) Peoples Rate This
इश्क़ में भी सियासतें निकलीं
रात हम ने जहाँ बसर की है
कुछ न कुछ सोचते रहा कीजे
हाथ में ख़ंजर आ सकता है
शेर-ओ-सुख़न का शहर नहीं ये शहर-ए-इज़्ज़त-ए-दारां है
जब भी तेरी यादों का सिलसिला सा चलता है
सहरा-ए-बे-ख़याल में जल-थल कहाँ के हैं
शाम से पहले घर गए होते
निकल कर साया-ए-अब्र-ए-रवाँ से
कौन दिल की ज़बाँ समझता है
शहर में जैसे कोई आसेब है
उठा लाया हूँ सारे ख़्वाब अपने