रियाज़ ख़ैराबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रियाज़ ख़ैराबादी (page 6)
नाम | रियाज़ ख़ैराबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Riyaz Khairabadi |
जन्म की तारीख | 1853 |
मौत की तिथि | 1934 |
जन्म स्थान | Khairabad |
ले गया घर से उन्हें ग़ैर के घर का ता'वीज़
कोई पूछे न हम से क्या हुआ दिल
कोई मुँह चूम लेगा इस नहीं पर
किसी से वस्ल में सुनते ही जान सूख गई
ख़्वाब में भी नज़र आ जाए जो घर की सूरत
कल क़यामत है क़यामत के सिवा क्या होगा
काफ़िर बुतों के नाम हों क्यूँकर तमाम हिफ़्ज़
जोबन उन का उठान पर कुछ है
जो उन से कहो वो यक़ीं जानते हैं
जो थे हाथ मेहंदी लगाने के क़ाबिल
जो पिलाए वो रहे यारब मय-ओ-साग़र से ख़ुश
जो हम आए तो बोतल क्यूँ अलग पीर-ए-मुग़ाँ रख दी
जिस दिन से हराम हो गई है
जी उठे हश्र में फिर जी से गुज़रने वाले
जवानी मय-ए-अरग़वानी से अच्छी
जफ़ा में नाम निकालो न आसमाँ की तरह
जाने वाले न हम उस कूचे में आने वाले
इश्क़ में दिल-लगी सी रहती है
हम भी पिएँ तुम्हें भी पिलाएँ तमाम रात
होगी वो दिल में जो ठानी जाएगी
हो के बेताब बदल लेते थे अक्सर करवट
हंस के पैमाना दिया ज़ालिम ने तरसाने के बा'द
गुलों के पर्दे में शक्लें हैं मह-जबीनों की
गुल मुरक़्क़ा' हैं तिरे चाक गरेबानों के
ग़रीब हम हैं ग़रीबों की भी ख़ुशी हो जाए
फ़रियाद-ए-जुनूँ और है बुलबुल की फ़ुग़ाँ और
दुनिया से अलग हम ने मयख़ाने का दर देखा
दिल-जलों से दिल-लगी अच्छी नहीं
दिल ढूँढती है निगह किसी की
दर्द हो तो दवा करे कोई