इस हज में वो बुत भी साथ होगा
ये सच है 'रियाज़' तो गए हम
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आगे कुछ बढ़ कर मिलेगी मस्जिद-ए-जामे 'रियाज़'
दर्द हो तो दवा करे कोई
ज़रा जो हम ने उन्हें आज मेहरबाँ देखा
हम ने देखा तरफ़-ए-मय-कदा जाते थे 'रियाज़'
सितम-ए-ना-रवा को रोते हैं
वो कौन है दुनिया में जिसे ग़म नहीं होता
ले उड़े गेसू परेशानी मिरी
नज़र आती है दूर की सूरत
मय रहे मीना रहे गर्दिश में पैमाना रहे
आबाद करें बादा-कश अल्लाह का घर आज
देखिएगा सँभल कर आईना
न आया हमें इश्क़ करना न आया