शोख़ी से हर शगूफ़े के टुकड़े उड़ा दिए
जिस ग़ुंचे पर निगाह पड़ी दिल बना दिया
Javed Akhtar
Habib Jalib
Parveen Shakir
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Gulzar
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Anwar Masood
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
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वा'दा था जिस का हश्र में वो बात भी तो हो
मेरी सज-धज तो कोई इश्क़-ए-बुताँ में देखे
'रियाज़' इक चुलबुला सा दिल हो हम हों
शैख़-जी गिर गए थे हौज़ में मयख़ाने के
नहीं छुपता तिरे इ'ताब का रंग
लब-ए-मय-गूँ का तक़ाज़ा है कि जीना होगा
मिरे घर मिस्ल तबर्रुक के ये सामाँ निकला
हो के बेताब बदल लेते थे अक्सर करवट
हम ने देखा तरफ़-ए-मय-कदा जाते थे 'रियाज़'
कहना किसी का सुब्ह-ए-शब-ए-वस्ल नाज़ से
ख़ुदा के हाथ है बिकना न बिकना मय का ऐ साक़ी
मेरे आग़ोश में यूँही कभी आ जा तू भी