झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई
जगमगाती हुई बरसात ने दम तोड़ दिया
Mir Taqi Mir
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Jaun Eliya
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छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार
मेरे तसव्वुरात हैं तहरीरें इश्क़ की
ऐ हुस्न-ए-लाला-फ़ाम! ज़रा आँख तो मिला
तारों से मेरा जाम भरो मैं नशे में हूँ
ऐ अदम के मुसाफ़िरो होशियार
हम फ़क़ीरों की सूरतों पे न जा
मैं ने लौह-ओ-क़लम की दुनिया को
ख़ता-वार-ए-मुरव्वत हो न मरहून-ए-करम हो जा
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
लोग कहते हैं रात बीत चुकी
कलियों की महक होता तारों की ज़िया होता
फिर उमड आए हैं यादों के सुहाने बादल