हम फ़क़ीरों की सूरतों पे न जा
हम कई रूप धार लेते हैं
ज़िंदगी के उदास लम्हों को
मुस्कुरा कर गुज़ार लेते हैं
Gulzar
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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छलके हुए थे जाम परेशाँ थी ज़ुल्फ़-ए-यार
एक नग़्मा इक तारा एक ग़ुंचा एक जाम
जिन से ज़िंदा हो यक़ीन ओ आगही की आबरू
ज़िंदगी और शराब की लज़्ज़त
जज़्बा-ए-सोज़-ए-तलब को बे-कराँ करते चलो
जिस दौर में लुट जाए ग़रीबों कमाई
रूदाद-ए-मोहब्बत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए
हर शय है पुर-मलाल बड़ी तेज़ धूप है
अब अपनी हक़ीक़त भी 'साग़र' बे-रब्त कहानी लगती है
दुख-भरी दास्तान माज़ी की
छुप के आएगा कोई हुस्न-ए-तख़य्युल की तरह
हम बनाएँगे यहाँ 'साग़र' नई तस्वीर-ए-शौक़