जिन से ज़िंदा हो यक़ीन ओ आगही की आबरू
इश्क़ की राहों में कुछ ऐसे गुमाँ करते चलो
Anwar Masood
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
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Gulzar
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
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कलियों की महक होता तारों की ज़िया होता
बरगश्ता-ए-यज़्दान से कुछ भूल हुई है
छुप के आएगा कोई हुस्न-ए-तख़य्युल की तरह
तारों से मेरा जाम भरो मैं नशे में हूँ
मैं आदमी हूँ कोई फ़रिश्ता नहीं हुज़ूर
वक़्त की उम्र क्या बड़ी होगी
भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए
हूरों की तलब और मय ओ साग़र से है नफ़रत
वहशत-ए-दिल ने काँच के टुकड़े
साक़ी की इक निगाह के अफ़्साने बन गए
झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई