कोई ताज़ा अलम न दिखलाए
आने वाले ख़ुशी से डरते हैं
लोग अब मौत से नहीं डरते
लोग अब ज़िंदगी से डरते हैं
Mir Taqi Mir
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राहज़न आदमी रहनुमा आदमी
ऐ सितारों के चाहने वालो
कल जिन्हें छू नहीं सकती थी फ़रिश्तों की नज़र
चाक-ए-दामन को जो देखा तो मिला ईद का चाँद
मैं ने लौह-ओ-क़लम की दुनिया को
ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा
जिस दौर में लुट जाए ग़रीबों कमाई
साक़ी की इक निगाह के अफ़्साने बन गए
बे-क़रारी में भी अक्सर दर्द-मंदान-ए-जुनूँ
सोने चाँदी की चमकती हुई मीज़ानों में
चाँदनी शब है सितारों की रिदाएँ सी लो
मता-ए-कौसर-ओ-ज़मज़म के पैमाने तिरी आँखें