Ghazals of Sahar Ansari
नाम | सहर अंसारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Sahar Ansari |
जन्म की तारीख | 1939 |
जन्म स्थान | Karachi |
विसाल-ओ-हिज्र से वाबस्ता तोहमतें भी गईं
तंग आते भी नहीं कशमकश-ए-दहर से लोग
सज़ा बग़ैर अदालत से मैं नहीं आया
सदा अपनी रविश अहल-ए-ज़माना याद रखते हैं
रास्तों में इक नगर आबाद है
रास्तों में इक नगर आबाद है
पैमाना-ए-हाल हो गए हम
पैमाना-ए-हाल हो गए हम
न किसी से करम की उम्मीद रखें न किसी के सितम का ख़याल करें
न दोस्ती से रहे और न दुश्मनी से रहे
मन के मंदिर में है उदासी क्यूँ
महसूस क्यूँ न हो मुझे बेगानगी बहुत
क्या किसी लम्हा-ए-रफ़्ता ने सताया है तुझे
किसी भी ज़ख़्म का दिल पर असर न था कोई
कहीं वो चेहरा-ए-ज़ेबा नज़र नहीं आया
हम ने आदाब-ए-ग़म का पास किया
हम अहल-ए-ज़र्फ़ कि ग़म-ख़ाना-ए-हुनर में रहे
हवस ओ वफ़ा की सियासतों में भी कामयाब नहीं रहा
हाथ आ सका है सिलसिला-ए-जिस्म-ओ-जाँ कहाँ
इक शरार-ए-गिरफ़्ता-रंग हूँ मैं
इक ख़्वाब के मौहूम निशाँ ढूँड रहा था
इक आस का धुँदला साया है इक पास का तपता सहरा है
अपने ख़ूँ से जो हम इक शम्अ जलाए हुए हैं
अजब तरह से मैं सर्फ़-ए-मलाल होने लगा
अब यही रंज-ए-बे-दिली मुझ को मिटाए या बनाए