चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
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ब-शर्त-ए-उस्तुवारी
इसी दो-राहे पर
गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से
तुझे भुला देंगे अपने दिल से ये फ़ैसला तो किया है लेकिन
मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने
शिकस्त
मिरे गीत
लब पे पाबंदी तो है
बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था
ज़मीं ने ख़ून उगला आसमाँ ने आग बरसाई
तुलू-ए-इश्तिराकियत
भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागर से हम