तुझे भुला देंगे अपने दिल से ये फ़ैसला तो किया है लेकिन
न दिल को मालूम है न हम को जिएँगे कैसे तुझे भुला के
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मेरे गीत तुम्हारे हैं
आओ कि कोई ख़्वाब बुनें
लम्ह-ए-ग़नीामत
नया सफ़र है पुराने चराग़ गुल कर दो
हमीं से रंग-ए-गुलिस्ताँ हमीं से रंग-ए-बहार
बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा
बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो
इस रेंगती हयात का कब तक उठाएँ बार
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
जज़्बात भी हिन्दू होते हैं चाहत भी मुसलमाँ होती है
मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने
दिल के मुआमले में नतीजे की फ़िक्र क्या