मगर उन सीपियों में पानियों का शोर कैसा था
समुंदर सुनते सुनते कान बहरे कर लिए हम ने
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ख़रगोश की सरगुज़िश्त
सोच में डूबा हुआ हूँ अक्स अपना देख कर
हमला-आवर कोई अक़ब से है
डूब जाने का सलीक़ा नहीं आया वर्ना
तुझ से मिलने का रास्ता बस एक
मुझ में सात समुंदर शोर मचाते हैं
मुझ को मिरी शिकस्त की दोहरी सज़ा मिली
अभी नज़र में ठहर ध्यान से उतर के न जा
बाहर के असरार लहू के अंदर खुलते हैं
उस के वारिस नज़र नहीं आए
फैंटेसी
मौत ने पर्दा करते करते पर्दा छोड़ दिया