क़त्ल करने का इरादा है मगर सोचता हूँ
तू अगर आए तो हाथों में झिजक पैदा हो
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तू जान-ए-मोहब्बत है मगर तेरी तरफ़ भी
हम-ज़ाद
ये कौन आया शबिस्ताँ के ख़्वाब पहने हुए
उस के वारिस नज़र नहीं आए
वो ख़ुदा है तो मिरी रूह में इक़रार करे
मुहासरा
मैं अपने शहर से मायूस हो के लौट आया
अलकुबड़े
प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर
साए का सफ़र
अभी नज़र में ठहर ध्यान से उतर के न जा
वही आँखों में और आँखों से पोशीदा भी रहता है